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लेखनी कहानी -10-Sep-2023

*...अकेला खुदको पाता हूँ..* 


ऐ ख़ुदा,
ना आसमान के सितारे गिन पाता हूँ,
इम्तिहान मे कामीयाब कहलाता हूँ,
ना चाँद से मुलाकात करता हूँ, 
ना अपनो को समझपाता हूँ।
मैं खुद को अकेला पाता हूँ
ऐ खुदा, तु हमेशा रात मे बात करता मुझसे, समझाता मुझको,
फिर क्यू ,आज खफा सा लगता खुदसे
आंगन मे फुल खिले थे,
वह भी मुरझा से गये लगता है,
ऐ ख़ुदा कामयाब नही बनसकते ऐसा लगता है, 
तोड देंगे आँचल के प्यार की उम्मीद
ना जाने यह दिल यह बात पर सहमा सा रहता है ।।
ऐ ख़ुदा खामोश सा खुदसे रहता हूँ, फिर भी अल्फाजोसे क्यू झगडता हूँ। करना है कुछ जिवन में, 
आगे बढ़ना है,
 तो फिर कदम क्यू रुका देता हूँ..
 नौशाबा जिलानी सुरिया

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